शिव आरती
शिव आरती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा आदर्श है। यह आरती भगवान शिव की महिमा और प्रेम को प्रकट करती है। शिव आरती के पाठ से हम भगवान शिव की कृपा, शांति और सुख का आनंद उठा सकते हैं। इस लेख में हम शिव आरती के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे।
शिव आरती का महत्व
शिव आरती का पाठ करने का महत्वपूर्ण कारण भगवान शिव की कृपा, शांति और सुख को प्राप्त करना है। यह आरती हमारे मन को शुद्ध करती है और हमारे आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है। इससे हमारा मन शांत होता है और हम आत्मिक शांति का आनंद उठा सकते हैं। शिव आरती पढ़ने और सुनने के द्वारा हम भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को समृद्धि से भर सकते हैं।
शिव आरती के पाठ की विधि
शिव आरती का पाठ करने से पहले हमें कुछ मुद्राएँ और सामग्री की आवश्यकता होती है। शिव आरती के पाठ की विधि निम्नलिखित है:
- पहले शिव लिंग के सामने बैठें।
- अपने हाथों में दिया, धूप, और अगरबत्ती लें।
- दिया को जलाएं और धूप और अगरबत्ती को जलाएं।
- अपने हाथों को जोड़ें और शिव आरती का पाठ करें।
- आरती के बाद प्रसाद बांटें और उसे खाएं।
शिव आरती का महत्व
शिव आरती का पाठ करने का महत्वपूर्ण कारण शिव भगवान की पूजा, आराधना और महिमा को प्रदर्शित करना है। यह आरती हमें शिव भगवान के दिव्य गुणों, आद्यांत रहितता और महाकाल स्वरूप की आराधना करने का अवसर प्रदान करती है। शिव आरती के पाठ से हमारा मन शांत होता है और हम आत्मिक शांति और समृद्धि का अनुभव कर सकते हैं।
शिव आरती के लाभ
शिव आरती का पाठ करने से हमें कई लाभ प्राप्त होते हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं:
- मन की शांति: शिव आरती के पाठ से हमारे मन को शांति मिलती है और मन की चंचलता कम होती है।
- सुख और समृद्धि: शिव आरती का पाठ करने से हमें सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। शिव भगवान की कृपा से हमारा जीवन सफलता और खुशहाली से भर जाता है।
- आत्मिक उन्नति: शिव आरती के पाठ से हमें आत्मिक उन्नति मिलती है और हम अपने आद्यांत रहित स्वरूप की अनुभूति करते हैं।
- शुभ आशीर्वाद: शिव आरती का पाठ करने से हमें शिव भगवान के शुभ आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। हमारे जीवन में समृद्धि, सुख, और शांति की वृद्धि होती है।
शिव आरती हिंदी में
शिव आरती
ॐ जय शिव ओंकारा ॐ
ॐ जय शिव ओंकारा प्रभु, हर शिव ओंकारा,
ब्रम्हा, विष्णु, सदाशिव, अद्धिगी धारा। ॐ जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंच्चानन राजे,
हंसासन गरुड़ासन, वृषवाहना साजे।ॐ जय शिव ओंकारा
दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज अति सोहे,
तीनों रूप निरखता, त्रिभुवन मन मोहे।ॐ जय शिव ओंकारा
अक्षमाला वनमाला मुंडमाला धारी,
चन्दन मृगमद सोहे, भोले शुभ कारी।ॐजय शिव ओंकारा
श्वेतांम्बर, पीतांम्बर, बागांबरी अंगे,
सनकादिक ब्रह्मादिक, भूतादिक संगे। ॐ जय शिव ओंकारा
करके मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधरता,
जग कर्ता जग हरता, जगपालन करता।ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव जानत अविवेका,
प्रणवाक्षर के मध्ये, ये तीनों एका।ॐ जय शिव ओंकारा
त्रिगुण स्वामी जी की आरती जो कोई नर गावे,
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे।ॐ जय शिव ओंकारा
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