।।शिवाष्टक शिव भजन।।
भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है जैसा उनका नाम है वैसे ही वो है. शिव को इंसान ने पुजा शिव ने इंसान को वरदान दिये शिव को दानव ने पुजा शिव ने दानवों को वरदान दिये. शिव को देवताओं ने पुजा शिव ने देवताओं की मन की इच्छा पूरी की यानि की भगवान शिव हर भक्त की सुनते हैं।
भगवान शिव का शिवाष्टक शिव भजन करने से कहते है मंदबुद्धि भी बुद्धिमान हो जाता है भगवान शिव का अनुसरण करने से गरीब धनवान हो जाता है. शिव की महिमा अपरमपार है भोले बाबा ने हमेशा भक्तों की सुनी है अगर इस शिवाष्टक शिव भजन भजन को हर सोमबार को भगवान शिव का जलाभिषेक करके बोला जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है।
भजन करने की विधि.
वैसे को भोलेनाथ भक्त के सच्चे दिल को देखते हैं और बिना किसी आडंबर के प्रसन्न हो जाते हैं. पर फिर भी शास्त्रों में भोलेनाथ की पुजा के लिए कुछ विधि काही जाती है जैसे की शिवलिंग पर बेलपत्र, शहद, दहीं, दूध, और हल्दी का अभिषेक करके शिवाष्टक शिव भजन मंत्र का जाप करना चाहिए इससे भगवान शिव जल्दी परसन्न हो जाते हैं और इच्छा अनुसार फल देते है।
।।शिवाष्टक शिव भजन।।
जय शिव शंकर, जय गंगाधर, करुणाकर करतारहरे,
जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशिसुख-सारहरे,
जयशशि-शेखर, जयडमरू-धर,
जय जय प्रेमागार हरे,
जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनंत अपारहरे,
निर्गुण जय जय सगुण अनामय, निराकार, साकार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो,
पाहिपाहिदातार हरे,
जय शिव शंकर, ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय,
जय रामेश्वर, जय नागेश्वर, वैद्यनाथ, केदार हरे,
मल्लिकार्जुन, सोमनाथ जय, महाकाल ओंकार हरे,
त्र्यंबकेश्वर, जय घुश्मेश्वर,
भीमेश्वर, जगतार हरे,
काशीपति, श्री विश्वनाथ जय, मंगलमयअघ-हार हरे,
नीलकंठ जय, भूतनाथ,
मृत्युंजय, अविकार हरे,
पार्वतीपति, हर हर शम्भो,
पाहिपाहिदातार हरे, जय शिव शंकर, ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय,
जय महेश, जय जय भवेश,
जय आदिदेव महादेव विभो,
किस मुख्य से है गुणातीत प्रभु, तब महिमा अपार वर्ण नसों,
जय भवकारक, तारक, हारक,
पातक-दारक, शिव शम्भो,
दीन दुख हर, सर्व सुखाकर,
प्रेम सुधाकर शिव शम्भो,
पारल गादो भवसागरसे,
बनकर करूणाधार हरे,
पार्वती पति हर हर शम्भो,
पाहिपाहिदातार हरे, जय शिव शंकर, ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय,
जय मनभावन, जय अतिपावन शोक- नशावनशिव शम्भो,
विपदविदारन अधमउवारन,
सत्यसनातन, शिव शम्भो,
सहजवचनहर, जलज-नयन-वर,
धवल-वरन-तनशिव शम्भो,
मदन-कदन-करपापहरन हर,
चरण मनन धन शिव शम्भो,
विक्सन, विश्ब रुप प्रलयंकर,
जगकेमूलाधार हरे,
पार्वती पति हर हर शम्भो,
पाहिपाहिदातार हरे, जय शिव शंकर, ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय,
भोलानाथ कृपालु दयामय,
औघड़ दानी शिवयोगी,
निमित्र मात्र मेंदे तेहैं,
नवनिधिम नमानी शिवयोगी,
सरल हृदय अतिकरुणा-सागर, अकथ कहानी शिवयोगी,
भक्तोंपर सर्वस्व लुटाकर,
बने मसानी शिवयोगी,
स्वयं अकिंचन, जन मन रंजन,
परशिवपरम उधार हरे,
पार्वती पति हर हर शम्भो,
पाहिपाहिदातार हरे, जय शिव शंकर, ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय,
आशुतोष इसमोहमयी निद्र
से मुझे जगादेना,
विषय-वेदनासे विषयोंका
माया-धीशछुदेना,
रूप-सुधाकी एक बूंदसे
जीवन मुक्त बना देना,
दिव्य-ज्ञान-भंडार-युगल
चरणोंमें लगन लगा देना,
एकबार इस मनमंदिरमें
कीजे पदसंचार हरे,
पार्वती पति हर हर शम्भो,
पाहिपाहिदातार हरे, जय शिव शंकर, ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय,
दानी हो,दोभिक्षामें अपनी
अनपायनि भक्ति प्रभु,
शक्तिमानहो, दोतुम अपने
चरणोंमें अनुरक्ति प्रभों,
स्वामी हो, निजसेवक की सुनले
नाकरुणपुकार हरे,
पार्वती पति हर हर शम्भो,
पाहिपाहिदातार हरे,
जय शिव शंकर, ओम नमः
शिवाय, ओम नमः शिवाय,
तुम बिन, व्याकुल हूप्राणईश्वर
आजा ओभगवंत हरे,
चरण-शरणकी बांहगहों,
हेउमा-रमणाप्रियकंत हरे,
विरहव्यथि तहू, दीनदुखीहूं,
दीन दयाल अनंत हरे,
आओ तुम मेरे होजाओ,
आजाओ श्री मन्त हरे,
मेरी इस दयनीयद वापर,
कुछतो करो विचार हरे,
पार्वती पति हर हर शम्भो,
पाहिपाहिदातार हरे,
जय शिव शंकर, ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय,
जय शिव शंकर, जय गंगाधर, करुणाकर करतार हरे,
पार्वती पति हर हर शम्भो,
पाहिपाहिदातार हरे,
जय शिव शंकर, ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय!
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